केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज यहां राज्य मंत्री श्री बीएल वर्मा की उपस्थिति में एनसीसीएफ, नेफेड और केंद्रीय भंडार की मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर भारत आटा और भारत चावल की खुदरा बिक्री के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।
दूसरे चरण में उपभोक्ताओं को 30 रुपये प्रति किलोग्राम के अधिकतम खुदरा मूल्य की दर से भारत आटा और 34 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भारत चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए श्री जोशी ने कहा कि यह पहल उपभोक्ताओं को रियायती कीमतों पर आवश्यक खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ब्रांड के अंतर्गत चावल, आटा और दाल जैसे आधारभूत खाद्य पदार्थों की खुदरा बिक्री के माध्यम से प्रत्यक्ष हस्तक्षेप ने मूल्यों में स्थिरता की व्यवस्था बनाए रखने में मदद की है।
दूसरे चरण में आरंभिक स्तर पर खुदरा बिक्री के लिए 3.69 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 2.91 लाख मीट्रिक टन चावल उपलब्ध कराया गया है। पहले चरण में सामान्य उपभोक्ताओं को लगभग 15.20 लाख मीट्रिक टन भारत आटा और 14.58 लाख मीट्रिक टन भारत चावल रियायती दरों पर उपलब्ध कराया गया।
भारत आटा और भारत चावल केंद्रीय भंडार, नैफेड और एनसीसीएफ तथा ई-कॉमर्स/बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं के स्टोर और मोबाइल वैन पर उपलब्ध होंगे। दूसरे चरण के दौरान ‘भारत’ ब्रांड आटा और चावल 5 किलोग्राम और 10 किलोग्राम के थैलों में बेचे जाएंगे।
पंजाब में धान की खरीद पर अद्यतन जानकारी देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने पंजाब में 184 लाख मीट्रिक टन अनाज की खरीद के लक्ष्य अनुमान को प्राप्त करने और किसानों की ओर से मंडियों में लाए गए अनाज के हर एक दाने की खरीद करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। 4 नवंबर 2024 तक, पंजाब की मंडियों में कुल 104.63 लाख मीट्रिक टन धान आया, जिसमें से 98.42 लाख मीट्रिक टन की खरीद राज्य की एजेंसियों और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने की है। यह खरीद ग्रेड ‘ए’ धान के लिए भारत सरकार द्वारा तय किए गए 2320 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जा रही है। चालू खरीफ विपणन सीजन 2024-25 में अभी तक भारत सरकार ने कुल 20557 करोड़ रुपये के धान का क्रय किया है। इससे 5.38 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की राशि उनके बैंक खातों में जमा कर दी गई है।